भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला के तहत भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर 21 से 24 नवंबर के बीच ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन किया गया | विश्वविद्यालय में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के तहत 21 नवंबर को ‘आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जीवनचर्या’ विषय पर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के लिए परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को साझा किया | कार्यक्रम के प्रारंभ में विदेशी भाषा विभाग के अध्यापक अभय लियोनार्ड एक्का ने ‘जन जातीय गौरव दिवस’ के महत्त्व का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बिरसा मुंडा की भूमिका के बारे में बताते हुए बिरसा मुंडा को आदिवासी ‘भगवान’ कहा । उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का महत्त्व आने वाले पीढ़ियों के लिए युगद्रष्टा रहेगा | भारतीय समाज में आदिवासियों के महत्व को भारत सरकार ने स्वीकार करते हुए वर्ष 2021 नवम्वर 15 को बिरसा मुंडा जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषणा की | बिरसा मुंडा के महत्त्व को सजीव रखने हेतु प्रत्येक वर्ष नवम्बर 15 को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है । अर्थशास्त्र विभाग के विभाग अध्यक्ष एवं अंबेडकर शिक्षा पीठ के नोडाल ऑफिसर प्रोफ़ेसर रतिकांत कुम्भार ने आदिवासी समाज की स्थिति एवं उनमें संभावना को लेकर महत्वपूर्ण तथ्यों को साझा किया |

आगे भारतीय भाषा विभाग की शोध छात्रा सुश्री ज्ञान्ति ने ‘आदिवासी महिलाओं के स्वास्थ्य समस्या’ पर शोध पत्र प्रस्तुत किया । आदिवासियों की जीवन शैली पर भूगोल विभाग के शोध छात्र विशाल कुमार ने ‘गोडायत’ जनजातियों के विभिन्न मुद्दों को सामने रखा | इतिहास विभाग के शोध छात्र अमृत कुमार ने ‘इतिहास में आदिवासी इतिहास लेखन’ विषय पर महत्त्वपूर्ण जानकारी दिया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए भारतीय भाषा विभाग के शोधार्थी रूद्र चरण माझी ने “ आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में आदिवासी भाषाओं की चुनौतियाँ” विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में आदिवासी मातृभाषा के महत्व पर महत्त्वपूर्ण जानकारी रखी । इस कार्यक्रम के आयोजक मंडल के सदस्य के रूप में भारतीय भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुज लुगुन तथा डॉ. रामचंद्र रजक एवं डॉ. रिकिल चिरमांग (सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र) ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । कार्यक्रम के अंत में विदेशी भाषा विभाग के अभय लियोनार्ड एक्का नें जनजाति गौरव दिवस की नोडल ऑफिसर डॉ. अंजुम हेलेन बारा, एस. टी & एस. सी सेल के सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए उपस्थित सभी विद्यार्थी, शोधार्थी, प्राध्यापकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए पुन: धन्यवाद दिया।

24 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के समापन समारोह में कुलपति प्रोफ़ेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि एक विकासशील देश के लिए औद्योगीकरण जितना आवश्यक है उतनी ही आवश्यकता आदिवासी संस्कृति को सुरक्षित रखने की है । इसलिए देश में एक संतुलित, समन्वित, विकसित समाज का गठन होना चाहिए । अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति महोदय ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा किसी जाती, धर्म, देश, समुदाय के नहीं हैं बल्कि वे अंतरराष्ट्रीय महापुरुष हैं । एक विकसित देश के गठन में सभी समुदायों की सहभागिता की आवश्यकता है परंतु अपने स्वार्थ के लिए आदिवासियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । सीयूएसबी में आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला के तहत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर एक सप्ताह का ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ | सभागार में उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए भारतीय भाषा विभाग के प्राध्यापक डॉ. अनुज लुगुन ने मुण्डारी गीत के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ डूमबारी पहाड़ पर आदिवासियों के संघर्ष को दर्शाया । उन्होंने आदिवासियों के साहस को दर्शाते हुए कहा कि “खूंखार अंग्रेजों के खिलाफ सदियों तक आदिवासियों का विद्रोह उनके अदम्य साहस को दर्शाता है ।

कार्यक्रम की नोडल अफसर डॉ. अंजु हेलेन बारा (सहायक प्राध्यापक, राजनीति विभाग) ने एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रम के प्रतिभागियों, सफल विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए माननीय कुलपति के प्रति आभार प्रकट किया । स्वतंत्र वक्ता के रूप में प्रो. रविकांत, शिक्षक शिक्षा विभाग ने आदिवासियों के स्वतंत्र जीवन शैली पर चर्चा करते हुए कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए उनके प्रति दृष्टिकोण, उनकी स्वतंत्र आवश्यकता पर ध्यान देना होगा, अन्यथा आदिवासियों का सही विकास असम्भव है । भाषा एवं साहित्य पीठ के अध्यक्ष प्रो. विपिन कुमार सिंह ने ‘बैगा जनजातियों की स्वतंत्र जीवन शैली पर जरूरी चर्चा की । उन्होंने जवाहर लाल नेहरू द्वारा आदिवासी विकास के लिए प्रस्तावित पांच सिद्धांतों का उल्लेख किया |

कार्यक्रम के आयोजक मंडल के सदस्य के रूप में भारतीय भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुज लुगुन तथा डॉ. रामचंद्र रजक एवं डॉ. रिकिल चिरमांग (सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र) ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।कार्यक्रम के अन्त में डॉ. रिकिल चिरमांग ने डॉ. अंजु हेलेन बारा, एससी और एसटी सेल के सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए सभागार में उपस्थित सभी प्राध्यापकों, शोधार्थी, विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए पुन: धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन राजनीति विभाग के छात्र यशस्वी के द्वारा किया गया । 21 नवंबर से शुरू हुए ‘जनजातीय गौरव दिवस’ सप्ताह के अंतर्गत कई कार्यक्रम आयोजित किए गए और अंतिम दिन विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को कुलपति महोदय द्वारा प्रमाणपत्र प्रदान किया गया । शोध पत्र प्रस्तुतीकरण के लिए भारतीय भाषा विभाग के शोधार्थी, रूद्र चरण माझी, सुश्री ज्ञान्ती, भूगोल विभाग के विशाल कुमार को सर्टिफिकेट दिया गया । क्विज प्रतियोगिता के विजेताओं अंजलि, लवकुश, शिवम्, ख़ुशी, नवीन, अविनाश को सर्टिफिकेट दिया गया । निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं जिनमें अंग्रेजी में शिवम् सिन्हा, ऋतिक रंजन, ख़ुशी कुमारी और हिंदी निबंध में हरि ओम, रौशन कुमार, आकांक्षा पांडे को सर्टिफिकेट दिया गया ।