सीयूएसबी में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की स्मृति में 67वें महापरिनिर्वाण दिवस का आयोजन

आधुनिक भारत के निर्माता एवं भारतीय संविधान के  प्रणेता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की महापरीनिर्वाण दिवस के  पूर्व संध्या पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी), गया स्थित विवेकानंद सभागार  में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार  विश्वविद्यालय के  एससी/एसटी सेल के तत्वावधान से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम  में  मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में मगध महिला कॉलेज की प्राध्यापक डॉ. शिप्रा प्रभा योगदान किया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के   माननीय कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने की।  कार्यक्रम का प्रारंभ उपस्थित सभी अतिथियों के डॉ. भीमराव अम्बेडकर की तैलचित्र पर पुष्प अर्पण करते हुए कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. कार्यक्रम के  प्रारंभ में विश्वविद्यालय के  एससी/एसटी सेल के सचिव  डॉ. जगरनाथ रॉय  ने अतिथियों को स्वागत करते हुए इस कार्यक्रम की सफल आयोजन हेतु विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफ़ेसर कामेश्वर नाथ सिंह के प्रति आभार प्रकट किया ।

इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मगध महिला कॉलेज पटना के हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉक्टर शिप्रा प्रभाव ने कार्यक्रम का विषय “महिला सशक्तिकरण में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के योगदान” को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हुए कहा कि बाबा साहब ने हिंदू कोड बिल को एक नया रूप दिया उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए विशेष रूप से चर्चा की  और नारी को एक स्वतंत्र पहचान देने में बाबा साहब की विचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । अपने वक्तव्य में डॉक्टर शिप्रा प्रभा ने कहा कि “ स्त्री की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं उसे सम्मान की आवश्यकता है स्त्री प्रत्येक रूप में सम्मान की अधिकारी है” |

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफ़ेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ” बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर  किसी जाति विशेष के नहीं बल्कि एक राष्ट्र नेता हैं । उन्होंने अपने जीवन काल में  जो सामाजिकता एवम समरसता के भाव को प्रतिष्ठित किया वह सारे विश्व के लिए प्रेरणादाई है। उन्हें किसी एक जाति विशेष से जोड़ कर उनके कद को छोटा नहीं किया जा सकता है।” उन्होंने  यह भी कहा कि अम्बेडकर के चिंतन और दर्शन को सिर्फ एक कमरे या एक दिन में सीमित न रख कर इसे समाज में ले जाकर  एक विकसित रूप देना होगा तब जाकर समाज का  मंगल  हो सकता है। उन्होंने अप्रैल माह में 4 दिवसीय कार्यक्रम करने की बात कही ।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. अंजु हेलेन बारा, नोडाल ऑफिसर , विश्वविद्यालय एससी/एसटी सेल ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्राध्यापक, अध्यापक, शोधार्थीयों, विद्यार्थियों एवम कर्मचारियों को धन्यवाद दिया। इस कार्यक्रम का संचालन  हिन्दी विभाग के शोधार्थी नचिकेता वत्स  ने किया।